विश्व की महान प्राचीन सभ्यताएँ: इतिहास, दर्शन और साम्राज्य
शांग सभ्यता: चीन की पहली ऐतिहासिक नींव
परिचय और महत्व:
शांग सभ्यता (1600-1046 ईसा पूर्व) प्राचीन चीन की पहली ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित राजवंशीय सभ्यता थी। इसे यलो रिवर (पीली नदी) घाटी में विकसित होने वाली महत्वपूर्ण सभ्यताओं में से एक माना जाता है। इस सभ्यता ने चीनी संस्कृति, लेखन प्रणाली, धर्म और प्रशासन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1. लेखन प्रणाली का विकास
शांग सभ्यता के दौरान चीन में पहली बार लिखित भाषा का प्रमाण मिलता है। यह लेखन मुख्य रूप से ओरेकल बोन स्क्रिप्ट (Oracle Bone Script) पर पाया गया है, जिसे भविष्यवाणी और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह लेखन प्रणाली आगे चलकर आधुनिक चीनी लिपि का आधार बनी।
2. सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था
- शांग समाज एक राजतंत्रीय प्रणाली (Monarchical System) पर आधारित था, जिसमें राजा को दिव्य शक्ति प्राप्त थी।
- समाज में अलग-अलग वर्ग थे: राजा और उसका दरबार, योद्धा वर्ग, किसान, और दास।
- शांग राजाओं ने कई शक्तिशाली शहरों का निर्माण किया, जिनमें विशाल महल और किलेबंद क्षेत्र होते थे।
3. धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएँ
- शांग सभ्यता में पूर्वज-पूजा (Ancestor Worship) का विशेष महत्व था। लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की पूजा करते थे और उनसे मार्गदर्शन की अपेक्षा रखते थे।
- धर्म और शासन का गहरा संबंध था, और राजा को देवताओं और पूर्वजों का प्रतिनिधि माना जाता था।
- ओरेकल हड्डियों और कांस्य पात्रों पर की गई भविष्यवाणियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि शांग लोग अंधविश्वास और धर्म को बहुत महत्व देते थे।
4. कांस्य कला और शिल्प
- शांग सभ्यता कांस्य निर्माण (Bronze Casting) में बहुत उन्नत थी। उन्होंने कांस्य से बने हथियार, बर्तन, और धार्मिक वस्तुएँ तैयार कीं।
- कांस्य के बर्तन और मूर्तियाँ शांग शासकों की शक्ति और संपन्नता का प्रतीक थीं।
- इस सभ्यता की धातु-कला आगे चलकर चीन की सांस्कृतिक और तकनीकी उन्नति का आधार बनी।
5. युद्ध और सैन्य शक्ति
- शांग राजाओं ने एक मजबूत सेना का निर्माण किया, जिसमें घोड़ों से खींचे जाने वाले रथों (Chariots) का उपयोग किया जाता था।
- कांस्य हथियारों (कुल्हाड़ी, तलवार, भाले) के निर्माण ने शांग सेना को अन्य जनजातियों पर बढ़त दिलाई।
- लगातार युद्धों के कारण शांग सभ्यता ने अपने क्षेत्र का विस्तार किया और एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया।
6. कृषि और आर्थिक विकास
- शांग सभ्यता कृषि पर आधारित थी। यहाँ के लोग मुख्य रूप से चावल, बाजरा, और गेहूँ की खेती करते थे।
- उन्होंने सिंचाई प्रणाली और पशुपालन में भी महत्वपूर्ण प्रगति की।
- व्यापार और हस्तशिल्प उद्योग भी विकसित हुआ, जिससे समाज में समृद्धि आई।
7. पतन और उत्तराधिकार
- 1046 ईसा पूर्व में झोउ (Zhou) वंश ने शांग राजवंश को पराजित कर दिया और नए शासन की नींव रखी।
- हालांकि, शांग सभ्यता के सांस्कृतिक और तकनीकी योगदान को झोउ और अन्य बाद की चीनी सभ्यताओं ने अपनाया और आगे बढ़ाया।
निष्कर्ष
शांग सभ्यता प्राचीन चीन की पहली सुव्यवस्थित सभ्यता थी जिसने लेखन प्रणाली, कांस्य कला, प्रशासनिक संरचना और धार्मिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह सभ्यता न केवल चीन के इतिहास में, बल्कि पूरी मानव सभ्यता के विकास में भी महत्वपूर्ण रही। इसका प्रभाव आगे आने वाले चीनी राजवंशों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
फ़ारसी साम्राज्य का विस्तार: साइरस महान और दारा-प्रथम
फ़ारसी साम्राज्य (Achaemenid Empire) प्राचीन विश्व के सबसे बड़े और शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। इसकी स्थापना साइरस महान (Cyrus the Great, 600-530 BCE) ने की थी और इसके बाद दारा-प्रथम (Darius I, 550-486 BCE) ने इसे और अधिक सुदृढ़ और विस्तारित किया। इन दोनों शासकों ने अपने सैन्य कौशल, प्रशासनिक सुधारों और सहिष्णु नीतियों के माध्यम से फ़ारसी साम्राज्य को ऐतिहासिक ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
साइरस महान (Cyrus the Great) द्वारा साम्राज्य का विस्तार
साइरस महान को एक अद्वितीय योद्धा और कुशल प्रशासक माना जाता है। उन्होंने अपने शासनकाल में कई विजय प्राप्त कर फ़ारसी साम्राज्य की आधारशिला रखी।
सैन्य अभियानों के माध्यम से विस्तार
मीडिया (Media) साम्राज्य पर विजय (550 BCE)
- साइरस ने सबसे पहले मीडिया के खिलाफ युद्ध छेड़ा, जो उस समय फ़ारसी लोगों पर शासन कर रहा था।
- उन्होंने एक विद्रोह का नेतृत्व किया और अंततः मीडियाई राजा अस्तियागेस को हराकर मीडियाई साम्राज्य को अपने अधीन कर लिया।
- इस जीत से उन्हें एक सशक्त सैन्य शक्ति प्राप्त हुई।
लिडियन (Lydia) साम्राज्य पर विजय (546 BCE)
- साइरस ने पश्चिम की ओर बढ़ते हुए लिडियन साम्राज्य (आधुनिक तुर्की क्षेत्र) पर आक्रमण किया।
- लिडिया का राजा क्रेसस अपनी अपार संपत्ति के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन साइरस की रणनीति के सामने उसे हार माननी पड़ी।
- इस विजय के साथ साइरस ने अनातोलिया (Turkey) और एशिया माइनर के महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
बेबीलोन (Babylon) पर विजय (539 BCE)
- बेबीलोन, जो उस समय मेसोपोटामिया की सबसे समृद्ध और शक्तिशाली नगरी थी, साइरस की प्रमुख विजयगाथाओं में से एक थी।
- बेबीलोन पर साइरस ने बिना किसी बड़े युद्ध के अधिकार कर लिया क्योंकि वहाँ के लोग बेबीलोन के राजा नबोनिडस से असंतुष्ट थे।
- साइरस ने अपनी सहिष्णुता नीति के तहत यहूदियों को बेबीलोन की कैद से मुक्त कर दिया, जिससे वह धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रसिद्ध हुए।
प्रशासनिक और सांस्कृतिक सहिष्णुता
- साइरस ने “साइरस सिलेंडर” नामक एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ बनवाया, जिसमें उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकारों की घोषणा की।
- उन्होंने विजय प्राप्त क्षेत्रों की संस्कृति और धर्म का सम्मान किया, जिससे उनकी प्रजा में विद्रोह कम हुए।
- साइरस ने एक संगठित और स्थिर प्रशासनिक प्रणाली विकसित की जिससे विशाल साम्राज्य को कुशलता से नियंत्रित किया जा सका।
दारा-प्रथम (Darius I) द्वारा विस्तार और संगठन
साइरस के बाद उनके पुत्र कमबायसेस-II (Cambyses II) ने शासन किया, लेकिन उनकी असमय मृत्यु के बाद दारा-प्रथम ने सत्ता संभाली। दारा को फ़ारसी साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार करने वाला शासक माना जाता है।
साम्राज्य का विस्तार
भारत और मध्य एशिया में विजय (515 BCE)
- दारा ने अपने शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार पूर्व की ओर किया और सिंधु घाटी (Sindhu Valley) के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।
- उन्होंने गंधार, पंजाब और सिंध क्षेत्रों को फ़ारसी साम्राज्य में शामिल किया, जिससे उन्हें भारत के धन-धान्य से समृद्ध प्रदेशों पर अधिकार प्राप्त हुआ।
मिस्र पर विजय (525 BCE)
- दारा-प्रथम ने मिस्र के समृद्ध राज्य को फ़ारसी साम्राज्य में मिला लिया।
- मिस्र की विजय ने फ़ारसी व्यापार को भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) तक पहुँचा दिया और साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को और मज़बूत किया।
यूरोप में थ्रेस और मैसेडोनिया तक विस्तार
- दारा ने ग्रीस और बाल्कन क्षेत्र की ओर भी अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
- उन्होंने थ्रेस (आधुनिक बुल्गारिया) और मैसेडोनिया पर विजय प्राप्त की, जिससे फ़ारसी प्रभाव यूरोप में भी फैल गया।
प्रशासनिक सुधार और संगठन
सत्रापी प्रणाली (Satrap System)
- दारा-प्रथम ने अपने विशाल साम्राज्य को 20 सत्रापियों (प्रशासनिक प्रांतों) में विभाजित किया।
- प्रत्येक सत्रापी का एक गवर्नर (सत्रप) होता था, जो केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह होता था।
- इस प्रणाली से साम्राज्य को नियंत्रित करने में आसानी हुई और विद्रोहों की संभावना कम हुई।
कर और व्यापार प्रणाली
- दारा ने साम्राज्य में कर प्रणाली को व्यवस्थित किया और हर प्रांत को कर चुकाने का आदेश दिया।
- उन्होंने व्यापारिक मार्गों को विकसित किया, जिससे सिल्क रोड (Silk Road) और अन्य व्यापारिक रास्ते सुरक्षित बने।
सड़कों और संचार का विकास
- दारा ने “रॉयल रोड” (Royal Road) का निर्माण करवाया, जो पूरे साम्राज्य को जोड़ती थी।
- इस मार्ग से व्यापार और प्रशासनिक संचार तेज़ी से हो सकता था, जिससे साम्राज्य की एकता बनी रही।
निष्कर्ष
साइरस महान और दारा-प्रथम दोनों ने अपने-अपने तरीकों से फ़ारसी साम्राज्य को विस्तृत और संगठित किया। साइरस ने सैन्य विजय और धार्मिक सहिष्णुता से साम्राज्य की नींव रखी, जबकि दारा ने इसे और अधिक विस्तृत कर एक सशक्त प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। इन दोनों शासकों के प्रयासों के कारण फ़ारसी साम्राज्य प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा और संगठित साम्राज्य बना।
प्राचीन ग्रीक दर्शन: सोक्रेटीस, प्लेटो और अरस्तू
प्राचीन ग्रीस को पश्चिमी दर्शन का जन्मस्थल माना जाता है। यहाँ के दार्शनिकों ने विज्ञान, राजनीति, नैतिकता, तर्क, और ब्रह्मांड के बारे में गहरे विचार प्रस्तुत किए। इन दार्शनिकों के विचार न केवल ग्रीस बल्कि पूरी दुनिया के बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास को प्रभावित करते रहे हैं।
1. सोक्रेटीस (Socrates) (469-399 BCE)
मुख्य विचार:
- “स्वयं को जानो” (“Know Thyself”) – सोक्रेटीस का मानना था कि आत्म-ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने “संवाद पद्धति” (Socratic Method) विकसित की, जिसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से ज्ञान की खोज की जाती थी।
- उन्होंने नैतिकता, न्याय और सद्गुणों (Virtues) को परिभाषित करने का प्रयास किया।
- सोक्रेटीस को उनके विचारों के कारण जहर (हेमलॉक) पीकर मृत्यु दंड दिया गया।
2. प्लेटो (Plato) (427-347 BCE)
मुख्य विचार:
- प्लेटो, सोक्रेटीस के शिष्य थे और उन्होंने अपने गुरु के विचारों को आगे बढ़ाया।
- उन्होंने “आदर्श राज्य” (Ideal State) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने दार्शनिक राजा (Philosopher King) की संकल्पना की।
- उनका मानना था कि वास्तविकता केवल आइडियाज (Forms) में होती है, जिसे उन्होंने “आदर्श रूप सिद्धांत” (Theory of Forms) के माध्यम से समझाया।
- उन्होंने एथेंस में “अकादमी” (Academy) नामक विद्यालय की स्थापना की, जो प्राचीन काल का सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र बना।
3. अरस्तू (Aristotle) (384-322 BCE)
मुख्य विचार:
- अरस्तू, प्लेटो के शिष्य थे, लेकिन उन्होंने अपने गुरु की कई मान्यताओं से असहमति जताई।
- उन्होंने “तथ्यपरक दर्शन” (Empirical Philosophy) को बढ़ावा दिया, जिसमें अनुभव और अवलोकन को ज्ञान का मुख्य स्रोत माना गया।
- उन्होंने तर्कशास्त्र (Logic) की नींव रखी और “सिलॉजिज़्म” (Syllogism) नामक तर्क प्रणाली विकसित की।
- राजनीति में, उन्होंने “लोकतंत्र, राजतंत्र और अधिनायकवाद” की तुलना की और एक संतुलित सरकार (Mixed Government) का समर्थन किया।
- उन्होंने भौतिकी, जीव विज्ञान, नैतिकता और काव्यशास्त्र पर भी महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे।
4. हेराक्लिटस (Heraclitus) (535-475 BCE)
मुख्य विचार:
- उन्होंने कहा कि “सभी चीजें परिवर्तनशील हैं” (“Everything is in Flux”)।
- उनका मानना था कि ब्रह्मांड एक निरंतर परिवर्तनशील अवस्था में है और सब कुछ “लोगोस” (Logos – ब्रह्मांडीय तर्क) के अनुसार चलता है।
- उन्होंने यह भी कहा कि “कोई भी व्यक्ति एक ही नदी में दो बार प्रवेश नहीं कर सकता”।
5. पाइथागोरस (Pythagoras) (570-495 BCE)
मुख्य विचार:
- पाइथागोरस गणितज्ञ और दार्शनिक थे। उन्होंने संख्या और गणित को ब्रह्मांडीय सत्य का आधार माना।
- उन्होंने पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem) दी, जो ज्यामिति में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- उनका मानना था कि संख्याएँ ईश्वर की भाषा हैं।
6. एपिक्यूरस (Epicurus) (341-270 BCE)
मुख्य विचार:
- उन्होंने “सुखवाद” (Hedonism) का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि सच्चा सुख ही जीवन का लक्ष्य है।
- लेकिन उन्होंने कहा कि सुख भौतिक विलासिता से नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आत्म-संयम से प्राप्त होता है।
- उन्होंने मृत्यु के भय को अनावश्यक बताया।
7. ज़ेनो और स्टॉइकवाद (Stoicism) (334-262 BCE)
मुख्य विचार:
- उन्होंने “स्टॉइकवाद” (Stoicism) नामक दर्शन की स्थापना की, जो आत्म-नियंत्रण, धैर्य और भावनात्मक संतुलन पर आधारित था।
- स्टॉइक विचारधारा कहती है कि व्यक्ति को प्राकृतिक नियमों को स्वीकार करना चाहिए।
- उनके अनुसार, “सुख और दुख बाहरी चीजों पर निर्भर नहीं करते, बल्कि हमारी मानसिक स्थिति पर निर्भर करते हैं।”
निष्कर्ष
प्राचीन ग्रीक दार्शनिकों के विचारों ने विज्ञान, गणित, राजनीति, नैतिकता और तर्कशास्त्र को अत्यधिक प्रभावित किया। सोक्रेटीस, प्लेटो और अरस्तू के योगदान आधुनिक दर्शन का आधार बने हुए हैं।
पश्चिम अफ्रीका के महान साम्राज्य: व्यापार और संस्कृति
पश्चिम अफ्रीका में प्राचीन और मध्ययुगीन काल में कई शक्तिशाली राजशाही (Monarchies) अस्तित्व में थीं। इन साम्राज्यों ने व्यापार, संस्कृति और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1. घाना साम्राज्य (Ghana Empire) (c. 300 – 1200 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह पश्चिम अफ्रीका का पहला प्रमुख साम्राज्य था और इसे “वानगारा घाना” या “सोने की भूमि” कहा जाता था।
- इसकी आर्थिक शक्ति सोने और नमक के व्यापार पर आधारित थी।
- 1200 CE के आसपास अल्मोराविद्स (Almoravids) के आक्रमणों के कारण यह साम्राज्य पतन की ओर चला गया।
2. माली साम्राज्य (Mali Empire) (c. 1235 – 1600 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह साम्राज्य सुंदियाता कीटा (Sundiata Keita) द्वारा स्थापित किया गया था।
- इसके सबसे प्रसिद्ध शासक मनसा मूसा (Mansa Musa) थे, जो दुनिया के सबसे धनी शासकों में से एक माने जाते हैं।
- मनसा मूसा के समय इस्लाम खूब फैला और उन्होंने टिंबकटू (Timbuktu) को इस्लामिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाया।
3. सांगाई साम्राज्य (Songhai Empire) (c. 1430 – 1591 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह माली साम्राज्य के पतन के बाद उभरा और पश्चिम अफ्रीका का सबसे बड़ा साम्राज्य बना।
- सुन्नी अली (Sunni Ali) ने इसे एक सैन्य शक्ति बनाया।
- अस्किया मुहम्मद (Askia Muhammad) ने साम्राज्य को संगठित किया और प्रशासनिक सुधार किए।
- 1591 में मोरक्को के शासकों ने इसे पराजित कर दिया।
4. बेनिन साम्राज्य (Benin Empire) (c. 1180 – 1897 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह साम्राज्य आधुनिक नाइजीरिया में स्थित था और इसका प्रमुख शासक ओबा (Oba) कहलाता था।
- यहाँ शिल्पकला और धातु-निर्माण (Bronze and Ivory Art) बहुत प्रसिद्ध थी।
- 1897 में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने इस पर हमला किया।
5. कानेम-बोर्नू साम्राज्य (Kanem-Bornu Empire) (c. 700 – 1893 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह साम्राज्य आधुनिक चाड, नाइजीरिया, नाइजर और कैमरून में स्थित था।
- माई डुनामा दीबालेमी के शासनकाल में यह अपने चरम पर था।
- इस्लाम यहाँ प्रमुख धर्म था और इसे इस्लामिक शिक्षा और संस्कृति का केंद्र माना जाता था।
6. अशांति साम्राज्य (Ashanti Empire) (c. 1670 – 1902 CE)
मुख्य विशेषताएँ:
- यह आधुनिक घाना में स्थित था और इसकी राजधानी कुमासी (Kumasi) थी।
- यह साम्राज्य सोने, हाथी दाँत और दास व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
- अशांति सेना बहुत शक्तिशाली थी और वे यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ लंबे समय तक लड़े।
निष्कर्ष
पश्चिम अफ्रीका में घाना, माली, सांगाई, बेनिन, कानेम-बोर्नू और अशांति जैसे कई महान साम्राज्य थे, जो व्यापार, संस्कृति और सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें से अधिकतर साम्राज्य सोने, नमक और दास व्यापार पर निर्भर थे। यूरोपीय उपनिवेशवाद के कारण ये साम्राज्य समाप्त हो गए।
प्राचीन विश्व में नगरीकरण: सभ्यताओं का उदय
परिचय: नगरीकरण का अर्थ
नगरीकरण (Urbanization) का अर्थ है नगरों (Cities) का विकास और विस्तार, जहाँ लोग कृषि, व्यापार, प्रशासन, धर्म और संस्कृति के लिए संगठित रूप से रहने लगे। प्राचीन काल में जैसे-जैसे मानव सभ्यता विकसित हुई, वैसे-वैसे संगठित नगरों का निर्माण हुआ। ये नगर न केवल व्यापार और प्रशासन के केंद्र बने बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रमुख स्थान थे।
प्रमुख प्राचीन सभ्यताएँ और नगरीकरण
1. मेसोपोटामिया – दुनिया के पहले नगर
- स्थान: आधुनिक ईराक, टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों के किनारे।
- प्रमुख नगर: उर (Ur), उरुक (Uruk), निप्पुर (Nippur), बाबिलोन (Babylon)।
- विशेषताएँ: दुनिया के पहले संगठित नगर यहीं विकसित हुए। नगरों में मंदिर (Ziggurats) और प्रशासनिक भवन बने।
2. मिस्र – नील नदी की सभ्यता
- स्थान: नील नदी के किनारे (आधुनिक मिस्र)।
- प्रमुख नगर: थिब्स (Thebes), मेम्फिस (Memphis), अलेक्जेंड्रिया (Alexandria)।
- विशेषताएँ: नगरों का निर्माण फराओ (Pharaohs) के शासन में हुआ। पिरामिड, मंदिर और भव्य मकबरों का निर्माण किया गया।
3. सिंधु घाटी सभ्यता – योजनाबद्ध नगर
- स्थान: आधुनिक भारत और पाकिस्तान (सिंधु नदी के किनारे)।
- प्रमुख नगर: मोहनजोदड़ो (Mohenjo-Daro), हड़प्पा (Harappa), लोथल (Lothal)।
- विशेषताएँ: योजना के अनुसार नगरों का निर्माण, जिसमें ग्रिड प्रणाली की सड़कें और जल निकासी थी। पक्के मकान, कुएँ, स्नानागार और गोदाम उन्नत संरचना को दर्शाते हैं।
4. चीन – संगठित प्रशासनिक नगर
- स्थान: ह्वांग-हो (Yellow River) और यांग्त्ज़ी नदी घाटी।
- प्रमुख नगर: आन्यांग (Anyang), लुओयांग (Luoyang), शियान (Xi’an)।
- विशेषताएँ: नगरों में राजाओं और सैन्य अधिकारियों का शासन था। किलेबंदी, शाही महल और प्रशासनिक भवन थे।
5. ग्रीस – लोकतंत्र और व्यापार के नगर
- स्थान: भूमध्यसागर के किनारे।
- प्रमुख नगर: एथेंस (Athens), स्पार्टा (Sparta), कोरिंथ (Corinth)।
- विशेषताएँ: ग्रीक नगर पोलिस (Polis) कहलाते थे। एथेंस लोकतंत्र (Democracy) का जन्मस्थान था।
6. रोमन साम्राज्य – विशाल शहरीकरण
- स्थान: यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया।
- प्रमुख नगर: रोम (Rome), कार्थेज (Carthage), कॉन्सटेंटिनोपल (Constantinople)।
- विशेषताएँ: रोम दुनिया का सबसे बड़ा नगर बना। रोमन नगरों में सड़कें, पुल, एक्वाडक्ट (Aqueduct), फोरम (Forum) और कोलोसियम (Colosseum) बनाए गए।
नगरीकरण के प्रमुख कारण
- ✅ कृषि उत्पादन में वृद्धि – अधिक खाद्य उत्पादन के कारण जनसंख्या बढ़ी।
- ✅ व्यापार और विनिमय – जलमार्ग और थलमार्ग के माध्यम से व्यापार ने नगरों को संपन्न बनाया।
- ✅ प्रशासनिक व्यवस्था – राजाओं और शासकों ने संगठित नगरों का निर्माण किया।
- ✅ धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ – मंदिर, महल और सार्वजनिक स्थानों के कारण नगरों का विस्तार हुआ।
नगरीकरण के प्रभाव
- ✔ व्यापार और अर्थव्यवस्था: नगरों में बाजार, बंदरगाह और व्यापारिक केंद्र बनाए गए।
- ✔ संस्कृति और शिक्षा: नगरों में कला, विज्ञान और शिक्षा का विकास हुआ।
- ✔ प्रशासन और शासन: नगरों को राजाओं और अधिकारियों द्वारा संगठित किया गया।
- ✔ वास्तुकला और निर्माण: नगरों में मंदिर, महल, जल निकासी और सड़कें विकसित हुईं।
निष्कर्ष
प्राचीन विश्व में नगरीकरण सभ्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण था। मेसोपोटामिया, मिस्र, सिंधु घाटी, चीन, ग्रीस और रोम में उन्नत नगरों का निर्माण हुआ। इन नगरों ने न केवल व्यापार, प्रशासन और संस्कृति को आगे बढ़ाया, बल्कि आधुनिक नगरों के विकास की नींव भी रखी।
