हिंदी का व्यावसायिक उपयोग: बैंकिंग, कार्यालय और संपर्क भाषा

बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग की चुनौतियां और समाधान

परिचय

आधुनिक परिवेश में बैंकिंग क्षेत्र के विभिन्न कार्य राजभाषा हिंदी के माध्यम से किए जा रहे हैं, जिसमें हिंदी की बैंकिंग शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान में हिंदी के प्रयोग के लिए हिंदी अधिकारी, अनुवादक, हिंदी लेखक तथा हिंदी टाइपिंग करने वाले भी उपलब्ध होते हैं। किंतु अभी भी बैंकों में प्रयोग होने वाली हिंदी सरल नहीं होती है, जिसके कारण इसके प्रयोग में असुविधा उत्पन्न होती है। राजभाषा होने के बावजूद हिंदी के उपयोग में कई सीमाएं और रुकावटें दिखाई पड़ती हैं।

बैंकिंग हिंदी

“बैंकिंग हिंदी” का अर्थ है बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी भाषा का प्रयोग। यह व्यावसायिक संदर्भों में हिंदी की उपयोगिता और महत्व को संदर्भित करता है, जैसे कि बैंक कार्यालयों, शाखाओं, और बैंक सेवाओं में हिंदी भाषा का उपयोग।

बैंकों में हिंदी के प्रयोग में रुकावटें

भाषा के शब्दों की जटिलता

बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी की शब्दावली में कई कठिन शब्द होते हैं, जिसके प्रयोग करने में कभी-कभी कर्मचारियों तथा ग्राहकों को उच्चारण करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

तकनीकी खराबी

बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग के लिए उपयोग में लाए जाने वाले तकनीकी उपकरणों में खराबी के कारण अन्य भाषा का हिंदी रूपांतरण करने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

शब्दावली की कमी

बैंकों में काम करने वाले लोगों के पास हिंदी की शब्दावली की कमी के कारण अन्य किसी के साथ हिंदी भाषा के व्यावहारिक संप्रेषण में समस्या उत्पन्न होती है।

अकुशल कर्मचारी

बैंकों में कुछ कर्मचारी वाणिज्य और अर्थशास्त्र विषय के जानकार नहीं होते हैं, जिन्हें बैंकिंग भाषा का संपर्क के लिए उपयोग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

बैंकों में हिंदी के प्रयोग में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए समाधान

कर्मचारियों का प्रशिक्षण

बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों को लंबे समय तक गहरी जानकारी और अभ्यास करने के लिए कार्यशालाएं चलाई जानी चाहिए, जिसमें हिंदी से संबंधित परीक्षाएं और प्रतियोगिताएं करवाई जानी चाहिए, जिससे उन्हें बैंक में काम में हिंदी भाषा के प्रयोग का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो सके।

तकनीकी सुधार

बैंकों को अपने सिस्टमों और सॉफ्टवेयर को हिंदी भाषा में सहयोग करने के लिए नई तकनीकों को जोड़ना चाहिए, तकनीकी उपकरणों में हिंदी भाषा के शब्दों को जोड़ा जाना चाहिए, जिससे भाषाई संपर्क को बढ़ावा मिल सके।

हिंदी पुस्तकालय व्यवस्था

बैंकों में हिंदी पुस्तकालय की स्थापना की जानी चाहिए जिससे वहां काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की हिंदी के प्रति रुचि बढ़े तथा हिंदी शब्दावली में विकास हो सके।

ग्राहकों से हिंदी संवाद

बैंकों को अपने ग्राहक सेवा केंद्रों में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सुनिश्चित करना चाहिए तथा ग्राहकों के साथ हिंदी भाषा के व्यावहारिक प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

संचार सुविधाओं में विस्तार

बैंकों को हिंदी में उपलब्ध संचार की सुविधाओं का विस्तार करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए तथा ग्रामीण जनता के साथ संवाद करने के लिए उनकी स्थानीय भाषा या हिंदी का प्रयोग करना चाहिए।

हिंदी प्रयोग को बढ़ावा

भारत में बैंकों के परिवेश में हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में तीव्र गति से बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे जनता को सुविधा प्राप्त हो सके, एवं बैंकिंग कार्यों के लिए हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि देशभर में हिंदी एक समान रूप से उपयोग की जा सके।

निष्कर्ष

इस प्रकार संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग बैंकिंग क्षेत्र में बहुत जरूरी है, किंतु बैंकिंग हिंदी की शब्दावली कठिन है, जिसका प्रयोग आसानी से नहीं किया जा सकता, इसलिए आवश्यक यह है कि हिंदी को बैंकिंग क्षेत्र में आसानी से प्रयोग करने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे हिंदी को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान किया जा सके।

संपर्क भाषा: अभिप्राय और सामाजिक-सांस्कृतिक उपयोगिता

परिचय

भारत एक बहुभाषी देश है और बहुभाषी देश में संपर्क भाषा का विशेष महत्व है। अनेकता में एकता हमारी अनुपम परंपरा रही है। वास्तव में सांस्कृतिक दृष्टि से सारा भारत सदैव एक ही रहा है। हमारे इस विशाल देश में जहां अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं और जहां लोगों के रीति-रिवाजों, खान-पान, पहनावे और रहन-सहन तक में भिन्नता हो वहां संपर्क भाषा ही एक ऐसी कड़ी है जो एक छोर से दूसरे छोर के लोगों को जोड़ने और उन्हें एक दूसरे के समीप लाने का काम करती है।

संपर्क भाषा से अभिप्राय

  • संपर्क भाषा शब्द का प्रयोग अंग्रेजी के लिंग्वा फ्रैंका (Lingua Franca) के प्रतिशब्द के रूप में किया जाता है। ‘लिंग्वा फ्रैंका’ से तात्पर्य है, लोक बोली अथवा सामान्य बोली।
  • जिस भाषा के माध्यम से एक क्षेत्र के लोग देश के अन्य क्षेत्रों के निवासियों से अथवा एक भाषा के बोलने वाले लोग अन्य भाषा-भाषियों से अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, उसे ‘लिंग्वा फ्रैंका’ अथवा ‘संपर्क भाषा’ कहा जाता है।

विद्वानों के अनुसार

डॉ. महेंद्र सिंह राणा के शब्दों में

“परस्पर विरोधी भाषा या भाषाओं की उपस्थिति के कारण जिस सुविधाजनक विशिष्ट भाषा के माध्यम से दो व्यक्ति, दो प्रदेश, राज्य और केंद्र तथा दो देश संपर्क स्थापित कर पाते हैं, उस भाषा विशेष को संपर्क भाषा/संपर्क साधक भाषा कहा जा सकता है।”

डॉ. भोलानाथ के अनुसार

डॉ. भोलानाथ ने संपर्क भाषा के प्रयोग क्षेत्र को तीन स्तरों पर विभाजित किया है: एक तो वह भाषा जो एक राज्य (जैसे महाराष्ट्र या असम) से दूसरे राज्य (जैसे बंगाल या असम) के राजकीय पत्र-व्यवहार में काम आए। दूसरे वह भाषा जो केंद्र और राज्यों के बीच पत्र-व्यवहारों का माध्यम हो। और तीसरे वह भाषा जिसका प्रयोग एक क्षेत्र/प्रदेश का व्यक्ति दूसरे क्षेत्र/प्रदेश के व्यक्ति से अपने निजी कामों में करे।

डॉ. पूर्णचंद टंडन के अनुसार

संपर्क भाषा से तात्पर्य उस भाषा से है जो समाज के विभिन्न वर्गों या निवासियों के बीच संपर्क के काम आती है। इस दृष्टि से भिन्न-भिन्न बोली बोलने वाले अनेक वर्गों के बीच हिंदी एक संपर्क भाषा है और अन्य कई भारतीय क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोलने वालों के बीच भी संपर्क भाषा है।

सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में संपर्क भाषा की उपयोगिता

एक सर्वेक्षण के आधार पर यह देखा गया है कि भारत में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जिसे भारत के अधिक से अधिक लोग अपने विभिन्न दैनिक कार्यों के लिए या मनोरंजन से संबंधित, सामाजिक-सांस्कृतिक, धार्मिक तथा साहित्यिक उद्देश्यों से आदान-प्रदान के लिए और परस्पर संपर्क के लिए प्रयोग करते हैं।

  1. सामाजिक संबंध निर्माण

    भाषा सामाजिक संबंध निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह लोगों को एक-दूसरे के साथ जोड़ती है, संचार को मजबूत करती है और सामाजिक गतिविधियों को सुदृढ़ बनाती है। उदाहरण स्वरूप, हिंदी अपने उद्भव के समय से ही हिंदू-मुस्लिम, पूर्व-पश्चिम तथा उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाली कड़ी रही है। शंकराचार्य और रामानंद ने संपूर्ण भारत में भ्रमण कर हिंदी के विकास-विस्तार में अपना पूर्ण सहयोग दिया।

  2. साहित्यिक अनुभव

    भाषा के माध्यम से साहित्यिक अनुभव साझा किया जा सकता है, जिससे समृद्ध साहित्यिक परंपरा बनती है और साहित्य की समझ और महत्व को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण स्वरूप, आदिकाल में हिंदी का अधिकांश साहित्य हिंदी क्षेत्र के बाहर ही लिखा गया है। स्वयंभू के ‘पउम चरिउ’ की रचना महाराष्ट्र और कर्नाटक में हुई, तो अब्दुर्रहमान ने ‘संदेश रासक’ पंजाब में लिखा। मध्यकाल के दौरान दक्षिण के आचार्यों-वल्लभाचार्य, रामानुज, निम्बार्क, रामानंद आदि ने संपर्क-भाषा के महत्व को समझा और इसे संप्रेषण का माध्यम बनाया। दक्षिण में राष्ट्रकूटों और यादवों के राज्य में हिंदी का प्रचार हुआ। मछलीपट्टनम के रादेल्ल पुरुषोत्तम कवि ने बत्तीस हिंदी नाटकों की रचना की।

  3. विचार-विनिमय

    भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं और दूसरों के विचारों को समझते हैं। यह गतिविधियों में विचार-विनिमय को समृद्ध करता है और विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने में मदद करता है। उदाहरण स्वरूप, हिंदी को संपर्क भाषा बनाने में बॉलीवुड का बहुत बड़ा हाथ रहा है। रेडियो और टी.वी. के माध्यम से भी हिंदी का प्रसार हुआ है, भारत के लोग एक साथ रहते हैं और हिंदी के माध्यम से अपने सारे कार्य निपटाते हैं।

  4. सांस्कृतिक विनिमय

    भाषा के माध्यम से सांस्कृतिक विनिमय होता है जो लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को समझने और सम्मानित करने में मदद करता है।

  5. यात्राओं के समय

    विभिन्न यात्राओं के दौरान अन्य क्षेत्रों के लोगों के साथ संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग किया जाता है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकजुटता को बढ़ावा देने में सहयोग करती है। उदाहरण स्वरूप, आमतौर पर जब भी हम यात्रा करते हैं, चाहे बस या रेलगाड़ी में हों, चाहे समुद्री या हवाई यात्रा में हों, हम देखते हैं कि अलग-अलग भाषा-भाषी अपना सफर एक साथ करते हैं। उस समय वे अगर अपनी भाषा के माध्यम से संपर्क नहीं कर पाते, तो वे अंग्रेजी या हिंदी से अपना काम चलाते हैं।


बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली

परिचय

बैंकिंग सेवाएं हमारे रोज़गार की जीवनशैली में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। ये सामाजिक और आर्थिक समृद्धि में सहायक होती हैं और लोगों को वित्तीय रूप से काफी मदद करती हैं। इसके साथ ही, हिंदी भाषा का प्रयोग इस क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली बैंकिंग क्षेत्र की विशेषताओं और सेवाओं को समझने में मदद करती है और लोगों को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सहायक होती है।

बैंकों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली

खाता संबंधी शब्दावली

  • बचत खाता (Savings Account): व्यक्तिगत बचत के लिए उपयोग में लाया जाने वाला खाता, जिसमें जमा राशि पर ब्याज मिलता है। यह एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प है।
  • चालू खाता (Current Account): व्यापारियों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा उपयोग किया जाने वाला खाता है, जिसमें बड़ी मात्रा में लेन-देन की सुविधा होती है। इसमें न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता होती है और यह लेन-देन के लिए अधिक उपयुक्त है।
  • पेंशन योजना (Pension Scheme): वृद्धावस्था में सुरक्षित जीवन बिताने के लिए यह योजना राशि प्रदान करती है, जिसमें नियमित निवेश के लिए धन जमा किया जा सकता है।
  • वेतन खाता (Salary Account): यह विशेष रूप से नौकरीपेशा लोगों के लिए है, जिसमें वेतन क्रेडिट और अन्य लाभ शामिल हैं।
  • जीवन बीमा (Life Insurance): यह वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और बीमाधारक के परिवार को उसकी मृत्यु के बाद आर्थिक समर्थन सुनिश्चित करता है।

लेन-देन संबंधी शब्दावली

  • नेफ्ट (NEFT – National Electronic Funds Transfer): इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एक बैंक से दूसरे बैंक में धनराशि हस्तांतरित करने की विधि।
  • चेक (Cheque): एक बैंकिंग दस्तावेज जिसके माध्यम से खाताधारक बैंक को निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है।
  • डेबिट कार्ड (Debit Card): खाताधारक को अपने बैंक खाते से सीधे वित्तीय लेन-देन की अनुमति देने वाला कार्ड।
  • एटीएम (ATM – Automated Teller Machine): स्वचालित मशीन जो नकदी निकासी, जमा, और अन्य बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती है।
  • मोबाइल बैंकिंग (Mobile Banking): स्मार्टफोन के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा।

ऋण संबंधी शब्दावली

  • गृह ऋण (Home Loan): मकान या अपार्टमेंट खरीदने के लिए लिया गया ऋण।
  • वाहन ऋण (Vehicle Loan): वाहन खरीदने के लिए लिया गया ऋण।
  • शिक्षा ऋण (Education Loan): उच्च शिक्षा के लिए लिया गया ऋण।
  • व्यापार ऋण (Business Loan): व्यापार शुरू करने या विस्तार के लिए लिया गया ऋण।
  • व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan): व्यक्ति द्वारा आवश्यकताओं के लिए लिया जाने वाला असुरक्षित ऋण।

बैंकिंग संचालन संबंधी शब्दावली

  • केवाईसी (KYC – Know Your Customer): ग्राहक की पहचान और पते का सत्यापन करने की प्रक्रिया।
  • सीआरएस (CRS – Customer Relationship Summary): बैंक और ग्राहक के बीच संबंधों का सारांश।
  • एटीएम (ATM – Automated Teller Machine): स्वचालित मशीन जो नकद निकासी, जमा और अन्य सेवाएं देती है।
  • डिजिटल बैंकिंग (Digital Banking): इंटरनेट और मोबाइल डिवाइस के माध्यम से की गई बैंकिंग।
  • इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking): ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से बैंक सेवाओं का उपयोग करना।

निष्कर्ष

उपरोक्त शब्दावली बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग की व्यापकता और विशेषज्ञता को दर्शाती है। बैंकिंग सेवाओं के इन पहलुओं को समझना न केवल वित्तीय लेन-देन में सहायक होता है, बल्कि यह हमें आर्थिक साक्षरता और आत्मनिर्भरता की ओर भी आगे बढ़ाता है। इस प्रकार, हिंदी में बैंकिंग शब्दावली का ज्ञान न केवल भाषा में दक्षता बढ़ाता है, बल्कि वित्तीय समझ और प्रबंधन कौशल में भी वृद्धि करता है।


कार्यालयों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली

परिचय:

कार्यालयों में पारिभाषिक शब्दावली का प्रचलन एक महत्त्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि यह संगठनात्मक संबंधों, व्यावसायिक समझौतों, और अंतःसंगठनीय संवादों को सुगमता से संचालित करने में सहायक होती है। इसके माध्यम से कर्मचारी और नेतृत्व एक व्यावसायिक भाषा में सहजता से संवाद करते हैं और समझौतों को सही रूप से फॉलो करते हैं।

कार्यालयों में प्रचलित पारिभाषिक शब्दावली:

1. प्रशासनिक शब्दावली:

प्रशासनिक शब्दावली का उपयोग संगठन के संचालन और प्रबंधन में होता है ताकि कर्मचारी और नेतृत्व सही से समझ सकें और कार्यों को संचालित कर सकें। कुछ उदाहरण:

  • कार्यालय प्रमुख (Office Head) – किसी संगठन या विभाग के प्रमुख को कहा जाता है, जो संगठन की समग्र गतिविधियों की निगरानी करते हैं और निर्णय लेते हैं।
  • आदेश (Order) – एक आधिकारिक निर्देश या आज्ञा, जो किसी कार्य को करने या न करने के लिए दी जाती है।
  • परिपत्र (Circular) – कार्यालय या संगठन के सभी सदस्यों को सूचना या निर्देश देने हेतु जारी आधिकारिक पत्र।
  • प्रतिवेदन (Report) – किसी कार्य, परियोजना, या अध्ययन के परिणामों या निष्कर्षों का लिखित विवरण।
  • अनुशासन (Discipline) – संगठन में नियमों और आदेशों का पालन करना और कार्रवाई करने की भावना।

2. प्रशिक्षण संबंधी शब्दावली:

  • प्रशिक्षण (Training) – एक कार्य या कौशल सीखने के लिए दी जाने वाली शिक्षा या सिखाने की प्रक्रिया।
  • शिक्षक (Instructor) – वह व्यक्ति जो किसी को कुछ सिखाने का कार्य करता है और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • मानक (Standard) – एक निर्धारित स्तर या माप का सेट, जिसे प्रशिक्षण में मापक रूप में उपयोग किया जाता है।
  • शिक्षार्थी (Learner) – वह व्यक्ति जो किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर ज्ञान और कौशल सीख रहा है।
  • उत्कृष्टता (Excellence) – शिक्षा में उच्चतम स्तर की प्राप्ति और सिखाने के क्षेत्र में कुशलता।

3. प्रशासनिक संचार संबंधी शब्दावली:

प्रशासनिक क्षेत्र में संचार तथा प्रबंधन को व्यवस्थित करने हेतु जिन शब्दों का प्रयोग होता है, वे इस श्रेणी में आते हैं:

  • संचार (Communication) – जानकारी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने की प्रक्रिया।
  • तकनीकी संचार (Technical Communication) – विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में जानकारी को स्पष्ट रूप से समझाने और साझा करने की प्रक्रिया।
  • समाचार पत्रिका (Newsletter) – एक प्रशिक्षण कार्यक्रम की सभी नवीनतम जानकारी को कर्मचारियों तक पहुँचाने हेतु मासिक पत्रिका।
  • विकास कार्यक्रम (Development Program) – कर्मचारियों को नए कौशल और नौकरी से संबंधित जानकारी देने के लिए आयोजित कार्यक्रम।
  • सेमिनार (Seminar) – किसी विशेष विषय पर विशेषज्ञों को बुलाकर उनके मार्गदर्शन में आयोजित संवादात्मक कार्यक्रम।

4. कार्यक्रमों के आयोजन संबंधी शब्दावली

कार्यक्रमों के आयोजन संबंधी शब्दावली में “आयोजन” का अर्थ होता है किसी विशेष उद्देश्य के लिए किए जाने वाले कार्यों या कार्यक्रमों को सूचित करने वाले शब्द। उदाहरण:

  • आयोजन (Event) – किसी विशेष उद्देश्य के लिए आयोजित किया गया कोई भी कार्यक्रम।
  • समारोह (Celebration) – किसी विशेष अवसर या महत्वपूर्ण घटना को उत्सव के रूप में मनाने वाले कार्यक्रम।
  • संगोष्ठी (Conference) – विशेष विषयों पर विचार-विमर्श के लिए विशेषज्ञों और रुचि रखने वालों का सम्मेलन।
  • उद्घाटन समारोह (Inauguration Ceremony) – किसी नए या महत्वपूर्ण कार्य या भवन के उद्घाटन के लिए आयोजित कार्यक्रम।
  • चर्चा (Discussion) – किसी विषय पर विचार-विमर्श के लिए आयोजित बैठक या कार्यक्रम।


व्यावहारिक हिंदी के विभिन्न रूप

परिचय

हिंदी भाषा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, इसका उपयोग भाषा और संस्कृति के संवाद में, राष्ट्रीय एकता में और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीवन के विभिन्न कार्यक्षेत्रों से संबंधित प्रयोग होने वाली हिंदी व्यावहारिक हिंदी का स्वरूप है। यह सामान्य जनता तक संदेश पहुंचाने, साथ ही संवाद स्थापित करने, सामाजिक और आर्थिक संबंधों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण है।

व्यावहारिक हिंदी का अर्थ:

  • हिंदी के व्यावहारिक होने का अर्थ है हिंदी को प्रशासन और व्यवसाय के कामकाज की भाषा बनाना।
  • सटीक शब्दों में- किसी व्यवसाय या कार्यक्षेत्र के लोगों द्वारा उस व्यवसाय या कार्यक्षेत्र के प्रयोजन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा “व्यावहारिक हिंदी” या “प्रयोजनमुखी हिंदी” कहलाती है।
  • डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने कहा है, “वास्तव में सामान्य भाषा और व्यावहारिक भाषा एक ही होती है, किंतु शब्दावली और सोच की दृष्टि से दोनों अलग हो जाती हैं।”

व्यावहारिक हिंदी में विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, वहीं सामान्य भाषा में अनौपचारिकता का भाव होता है। वैज्ञानिक, पत्रकारीय, डॉक्टरी, व्यापारी आदि अपने कार्य क्षेत्र से संबंधित हिंदी भाषा के विशिष्ट स्वरूप को ही प्रयोजनमुखी या व्यावहारिक हिंदी मानते हैं।

व्यावहारिक हिंदी के विभिन्न रूप इस प्रकार हैं:

  1. वाणिज्यिक और व्यापारिक हिंदी:

    व्यावहारिक हिंदी मध्यकाल से लेकर आज तक संप्रेषण भाषा के रूप में कार्यरत है। व्यापार, व्यवसाय, आयात-निर्यात, वाणिज्य आदि में इसका प्रयोग होता रहा है। वस्तुओं के खरीदने से लेकर बेचने तक वाणिज्यिक और व्यापारिक हिंदी का प्रयोग अधिक प्रचलित रहा है। स्वतंत्रता के बाद इसमें कई परिवर्तन हुए और वाणिज्यिक एवं व्यापारिक हिंदी के प्रयोग को धीरे-धीरे बढ़ावा मिला। शिक्षा में वाणिज्य शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए कई राज्यों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।

    वाणिज्य एवं व्यापार के क्षेत्र में चिह्नित पारिभाषिक शब्दावली एवं शैली का प्रयोग किया जाता है, जैसे-

    • ‘चाँदी उछली, सोना लुढ़का’
    • टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं।
  2. वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिंदी:

    वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिंदी से तात्पर्य ‘विज्ञान’ के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त हिंदी से है। आधुनिक विज्ञान का जन्म 19वीं शताब्दी में माना जाता है। इसके अंतर्गत भौतिकी, रसायन, जीव-विज्ञान, चिकित्सा, कंप्यूटर, यांत्रिकी आदि भी आते हैं। इन विषयों को व्यावहारिक हिंदी के अंतर्गत लिखने से देश का कार्य सुविधाजनक ढंग से एवं जागरूकता में होता है। इन विषयों का साहित्य सामान्यतः निम्नलिखित माध्यमों में उपलब्ध है-

    • पुस्तकों के रूप में विज्ञान
    • शोध पत्रों तथा पत्रिकाओं के रूप में
    • कोशों तथा विश्वकोशों के रूप में
    • इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों में
  3. विधिक हिंदी:

    विधिक हिंदी से तात्पर्य- ‘कानून या विधि’ की हिंदी से है। जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जज के सामने वकील दूसरे वकील से जब बहस करते हैं, तो इस कानूनी प्रक्रिया के दौरान जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसे विधिक हिंदी, ‘लॉ या कानून’ की हिंदी कहते हैं।

    • ब्रिटिश काल के प्रारंभिक दौर में विधिक क्षेत्र में कामकाज के लिए फ़ारसी की जगह हिंदी भाषा का उपयोग किया गया, किंतु व्यवहार में अदालतों की भाषा उर्दू थी। बाद में इसकी जगह अंग्रेजी ने ले ली, जिससे अंग्रेजी विधि (कानून) की भाषा बन गई और हिंदी का उपयोग कम हो गया।
    • स्वतंत्रता के बाद 1970 में पहली बार विधिक शब्दावली तैयार की गई। संविधान में हिंदी की राजभाषा के रूप में स्थापना होने के बाद व्यावहारिक हिंदी विधिक क्षेत्र में ही नहीं, अपितु अन्य क्षेत्रों में भी तीव्र गति से विकसित होने लगी।
  4. कार्यालयी हिंदी:

    सरकारी, गैर-सरकारी कार्यालयों के औपचारिक स्थायी कामकाज की भाषा को कार्यालयी भाषा कहा जाता है। कोई भी भाषा कार्यालयी भाषा हो सकती है। इसी कारण अलग-अलग प्रदेशों और देशों के कार्यालयों में अलग-अलग भाषाएं कार्यालयी भाषा के रूप में प्रयोग की जाती हैं, जैसे महाराष्ट्र में मराठी, केरल में मलयालम, जापान में जापानी, रूस में रूसी भाषाएं कार्यालयी भाषा के रूप में प्रयोग की जाती हैं। इन कार्यालयी कार्यों के लिए जिस हिंदी का प्रयोग किया जाता है, उसे कार्यालयी हिंदी कहते हैं।

    • हिंदी का यह रूप स्वतंत्रता के बाद विकसित हुआ, जब 14 सितंबर, 1949 को संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को राष्ट्र की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इससे पूर्व राजभाषा के रूप में मुगलकाल में फ़ारसी और ब्रिटिश काल में अंग्रेजी को मान्यता मिली थी।
    • स्वतंत्रता के पश्चात कार्यालयी भाषा के रूप में हिंदी अधिक सक्षम हुई है। कार्यालयों में जहाँ एक ओर व्यावहारिक हिंदी का प्रयोग बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर कार्यालयी भाषा के रूप में इसकी अपनी पारिभाषिक शब्दावली, पद चयन एवं वाक्य विन्यास का भी हस्तांतरण देखा जाता है।


तकनीकी और मीडिया संबंधी शब्दावली

परिचय

कार्यालय के परिवेश में हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली का महत्वपूर्ण स्थान है, जो किसी संगठन या कार्यालय के संचालन, प्रबंधन एवं पेशेवरिता को सुगम बनाने में मदद करती है। यह शब्दावली सटीकता और सहजता के साथ संबंधित होती है, जिससे संगठन की गतिविधियों में सुधार होता है और सहजता से संबंधित जानकारी पहुंच पाती है। कार्यालयों में प्रचलित हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली में तकनीकी और मीडिया संबंधी शब्दावली शामिल हैं।

तकनीकी शब्दावली

तकनीकी शब्दावली शब्दों का एक समूह है जो किसी संगठन के तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के बीच संचार को सुविधाजनक बनाता है। इसमें कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग जैसे शब्द शामिल होते हैं, जो संगठन की तकनीकी आधारभूतता को समझाने में मदद करते हैं।

कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं-

  • बायोमेट्रिक्स (Biometrics) : एक प्रौद्योगिकी जिसमें व्यक्ति की शारीरिक या सांविधानिक विशेषताएँ, जैसे कि उंगली की छाप, मुंह की छवि, या क्षेत्र की लम्बाई का स्कैन किया जाता है, ताकि उसे पहचाना जा सके।
  • आई.ओ.टी. (IoT – Internet of Things) : एक तकनीकी प्रणाली जिसमें विभिन्न उपकरण एवं उनके साथ जुड़े हुए नेटवर्क इंटरनेट के माध्यम से संवाद कर सकते हैं और डेटा साझा कर सकते हैं।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) : मानव बुद्धिमत्ता को मशीन द्वारा करने के लिए डिजाइन किए गए सिस्टम और प्रक्रियाएं।
  • वायरल वीडियो (Viral Video) : एक ऑनलाइन वीडियो जो तेजी से इंटरनेट पर फैलता है और लाखों या करोड़ों लोगों तक पहुँचता है।
  • ऑगमेंटेड रियलिटी (Augmented Reality – AR) : एक तकनीकी प्रणाली जिसमें वास्तविक दुनिया को डिजिटल वस्तुओं या जानकारियों से बनाया जाता है, जो उपयोगकर्ता को एक व्यवस्थित अनुभव प्रदान करता है।

मीडिया संबंधी शब्दावली

मीडिया संबंधी शब्दावली में वे शब्द शामिल हैं जो समाचार, जानकारी, विचार और मनोरंजन को व्यक्त करने और पहुंचाने के लिए उपयोग होते हैं। इसमें समाचार, टीवी, पत्रकारिता, ऑनलाइन मीडिया, सोशल मीडिया, प्रचार-प्रसार, ब्रॉडकास्टिंग, मीडिया व्यवस्था, प्रस्तुति और पत्रिका जैसे शब्द शामिल हो सकते हैं। यह शब्दावली मीडिया क्षेत्र के विकास, प्रसार और संबंधों को समझने में सहायक होती है।

मीडिया संबंधी शब्दावली के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

  • समाचार (News) : नवीनतम घटनाओं एवं जानकारी का स्रोत, जिसे मीडिया विभिन्न प्लेटफॉर्मों में प्रस्तुत करता है।
  • टीवी चैनल (TV Channel) : विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम, समाचार, और मनोरंजन प्रदान करने वाले चैनल।
  • पत्रकारिता (Journalism) : सत्य, न्याय, और सार्वजनिक हित की रक्षा करने के लिए समाचार प्रदान करने की कला और विज्ञान।
  • सोशल मीडिया (Social Media) : इंटरनेट पर लोगों के बीच जुड़ाव बढ़ाने वाले प्लेटफॉर्म, जैसे कि फेसबुक और ट्विटर।
  • ब्रॉडकास्टिंग (Broadcasting) : वीडियो या ऑडियो को सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने की प्रक्रिया, जैसे कि टीवी और रेडियो।

निष्कर्ष

कार्यालयों एवं संगठनों में हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली महत्वपूर्ण है। तकनीकी शब्दों के विकास एवं मीडिया के प्रयोग में वृद्धि के साथ, इसका उपयोग कार्यालयी संचालन में आसानी एवं सुगमता लाता है। तकनीकी शब्द जैसे “बायोमेट्रिक्स” एवं “आईओटी” के उपयोग से कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है, जबकि मीडिया संबंधी शब्दों जैसे “समाचार”, “टीवी चैनल”, “पत्रकारिता” और “सोशल मीडिया” का प्रयोग सूचना के प्रभावी प्रसार में सहायक होता है।